'ख़ुदा करे, यह दंगा आख़िरी साबित हो'
सीतामढ़ी में अमूमन हर साल दशहरे के समय छिटपुट हिंसा की घटना होती है. लेकिन, इस साल स्थिति इतनी भयानक होगी, इसका अंदाज़ा नहीं था. ग़लती प्रशासन की थी. जब पहले दिन ही झड़प हो गयी थी तो दशहरे के दिन अतिरिक्त बल को तैनात क्यों नहीं किया गया? इनकी ग़लती ने एक बुज़ुर्ग की जान ले ली . ख़ुदा करे, यह दंगा आखि़री साबित हो". यह मानना है एक स्थानीय व्यवसायी का, जो अपनी पहचान ज़ाहिर करना नहीं चाहते. दरअसल, बिहार की राजधानी पटना से क़रीब 170 किमी. उत्तर में स्थित सीतामढ़ी में 20 अक्तूबर को उग्र भीड़ ने लगभग 82 साल के एक बुज़ुर्ग ज़ैनुल अंसारी को चाक़ू मारने के बाद ज़िंदा जला दिया था. उसी दिन भीड़ के दूसरे शिकार इसी गांव के मोहम्मद साबिर अंसारी बने थे. पेशे से मज़दूर लगभग 65 साल के साबिर दवा ख़रीदकर आ रहे थे तभी उन पर हमला हुआ. भोड़हा गांव के पूर्व मुखिया और मृत ज़ैनुल अंसारी के रिश्तेदार नन्हें अंसारी उस दिन की घटना के बारे में बताते हैं, "सुबह क़रीब दस-ग्यारह बजे मैं भोड़हा से मधुबन जाने के लिए निकला. गांव से क़रीब दस किमी. दूर गौशाला चौक पर देखा की बड़ी बाज़ार पूजा समिति की म